करता राम करै सोइ होय
karta ram karai soi hoy
करता राम करै सोइ होय।
कल बल छल बुधि ज्ञान सयानप, कोटि करै जो कोय॥
देई देवा सेवा करिके, भरम भुले नर लोय।
आवत जात मरत औ जनमत, करम काँट अरुझोय॥
काहे भवन तजि भेष बनायो, ममता मैल न धोय।
मन मवास चपरि नहिं तोड़ेउ, आस फाँस नहिं छोय॥
सतगुरु चरन सरन सच पायो, अपनी देह बिलोय।
धरनी धरनि फिरत जेहि कारन, घरहिं मिले प्रभु सोय॥
- पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 22)
- रचनाकार : धरनीदास
- प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
- संस्करण : 1931
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