जो नरु दुख में दुखु नहिं मानै
jo naru dukh mein dukhu nahin manai
गुरु तेग़ बहादुर
Guru Tegh bahadur
जो नरु दुख में दुखु नहिं मानै
jo naru dukh mein dukhu nahin manai
Guru Tegh bahadur
गुरु तेग़ बहादुर
और अधिकगुरु तेग़ बहादुर
जो नरु दुख में दुखु नहिं मानै।
सुख सनेहु अरु भय नहिं जाकै कंचन माटी जानै॥
नहिं निंदिया नहिं उमतति जाकै लोभु मोहु अभिमाना।
इरख सोग ते रहै निआरउ नाहिं मान अपमाना॥
आसा मनसा सगल तिआगै जगते रहै निरासा।
कामु क्रोध जिह परसैं नाहिन तिह घट ब्रहनु निवासा॥
गुर किरपा जिह नर कउ कीनी तिह इह जुगति पछानी।
नानक लीन भइओ गोविंद मिउ जिउ पानी सँगि पानी॥
- पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 395)
- संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
- रचनाकार : गुरु तेगबहादुर
- प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
- संस्करण : जनवरी 1955
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