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जग में मरन कहिये सांच

jag me.n maran kahiye saa.nch

दरिया (बिहार वाले)

दरिया (बिहार वाले)

जग में मरन कहिये सांच

दरिया (बिहार वाले)

और अधिकदरिया (बिहार वाले)

    जग में मरन कहिये सांच।

    मरना सो जो फेरि ना मरिये तीनि तापे कांच॥

    एह जन्म जरा मरन की बेरी किछु ना जाते साथ।

    हेम हीरा बाजि गज सब पैंचि लीन्हो नाथ॥

    गाड़िया धन गहिर गाड़े बधन करते नीति।

    मीन मासु येह भोग भलाई याही जग की रीति॥

    आहि आहि चिकार छोड़ते कहां सुत ग्रिहि नारि।

    रोदन करि करि बदन देखहिं चलो हाथ पसारि॥

    बारि अनल लागाए दीन्हो भसम सरबो अंग।

    बहुरि लोई मंदिल के येह कोइ लागा संग॥

    सुर नर मुनी ज्ञानी केते कोइ जन भए दास।

    कहें दरिया भक्ति बीना डारु जम ग्रिव फांस॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत दरिया (बिहार वाले) (पृष्ठ 174)
    • संपादक : काशीनाथ उपाध्याय
    • रचनाकार : संत दरिया (बिहार वाले)
    • प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग ब्यास, पंजाब
    • संस्करण : 2016

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