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जब मेरो यार मिलै दिल जानी

jab mero yar milai dil jani

धरनीदास

धरनीदास

जब मेरो यार मिलै दिल जानी

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    जब मेरो यार मिलै दिल जानी।

    होइ लवलीन करौं मेहमानी॥

    हृदय कमल बिच आसन सारी।

    ले सरधा जल चरन खटारी॥

    हित कै चंदन चरचि चढ़ायो।

    प्रीति कै पंखा पवन डोलायो॥

    भाव के भोजन परसि जेंवायो।

    जो उबरा सो जूठन पायो॥

    धरनी इत उत फिरहिन भोरे।

    सन्मुख रहहि दोऊ कर जोरे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 21)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931

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