जब मेरो यार मिलै दिल जानी
jab mero yar milai dil jani
जब मेरो यार मिलै दिल जानी।
होइ लवलीन करौं मेहमानी॥
हृदय कमल बिच आसन सारी।
ले सरधा जल चरन खटारी॥
हित कै चंदन चरचि चढ़ायो।
प्रीति कै पंखा पवन डोलायो॥
भाव के भोजन परसि जेंवायो।
जो उबरा सो जूठन पायो॥
धरनी इत उत फिरहिन भोरे।
सन्मुख रहहि दोऊ कर जोरे॥
- पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 21)
- रचनाकार : धरनीदास
- प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
- संस्करण : 1931
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