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गगन मंडल मैं ऊँधा कूवा

gagan manDal main undha kuwa

गोरखनाथ

गोरखनाथ

गगन मंडल मैं ऊँधा कूवा

गोरखनाथ

और अधिकगोरखनाथ

    गगन मंडल मैं ऊँधा कूवा, वहाँ अमृत का बासा।

    सगुरा होई सु भरि भरि पीवै, निगुरा जाई पियासा॥

    मनुष्य के सिर स्थान (गगन मंडल) में सहस्रार चक्र उल्टे कुएँ के समान है जिसमें अमृत का वास है। जिसने गुरु के उपदेश से साधना की है, वह उस अमृत को जी भर कर पीता है। गुरुहीन (निगुरा) योगी प्यासा ही रह जाता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री गोरख गीत (पृष्ठ 117)
    • रचनाकार : गोरखनाथ
    • प्रकाशन : laxmi prakashan
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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