बेद कितेब कोरान गीता पढ़े
bed kiteb koran gita paDhe
बेद कितेब कोरान गीता पढ़े जीव का दरद नहिं कबहिं आने।
जीव का दरद फुरमान साईं किया सोई दरबेस जो कहा माने।
ज़ोर से जीव जो पकरि जबह करे बांधि जबरील हज़ूर आने।
करे इनसाफ सब साफ़ काग़ज़ हुआ दोजक के जार कहु कवन ठाने।
पंडित मोलना ताहां कवन बातें करे परा जिव कस्ट जमदूत ताने।
ख़ून का ख़ून एह वोएल दिए बना कहें दरिया दिल समुझि आने।
कुछ लोग वेद, कतेब, क़ुरान शरीफ़ और गीता आदि धर्म-ग्रंथों को पढ़ने के बावजूद कभी भी जीवों के प्रति दया-भाव अपने मन में नहीं लाते। सभी जीवों का दर्द समझने का आदेश स्वयं परमात्मा ने दिया है और सच्चा महात्मा वही है जो परमात्मा की कही इस बात को मानता है। जीव को ज़ोर-ज़बरदस्ती से पकड़कर जो उसका गला काटकर जान लेता है, उसे यमदूत बाँधकर यमराज के सामने लेकर आते हैं। यमराज उसके कर्मों के अनुसार हिसाब करके न्याय करता है। इस प्रकार जीव-हत्या करके नरक जाने का काम भला कोई क्यों करे? वहाँ यमराज के सामने पंडित या मौलाना, जीव की सहायता के लिए कौन सी बात कर सकते हैं? वहाँ पर जीव अपने ऊपर तने हुए यमदूतों के द्वारा दिए जा रहे कष्टों में पड़ा रहता है। जीव को मारने के बदले में उस जीव द्वारा मारे जाने का नियम बना हुआ है। इसकी समझ हमें अपने हृदय में लानी चाहिए।
- पुस्तक : दरिया (बिहार वाले) (पृष्ठ 511)
- संपादक : काशीनाथ उपाध्याय
- रचनाकार : संत दरिया (बिहार वाले)
- प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग ब्यास, पंजाब
- संस्करण : 2016
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.