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अवधू का कहि तोहि बखानों

avdhuu ka kahi tohi bakhaano.n

मलूकदास

मलूकदास

अवधू का कहि तोहि बखानों

मलूकदास

और अधिकमलूकदास

    अवधू का कहि तोहि बखानों।

    गगन मंडल में अनहद बोलै, जाति बरन नहिं जानों॥

    अहो अहो मैं कहा कहों तोहि, नांव जानों देवा।

    सुन्न महल की जुगती बतावे, केहि बिधि कीजे सेवा॥

    तीरथ भरमै बड़े कहावे, बाद करत हैं सोंई।

    अंधधुंध चलजात निरंजन, मर्म जानै कोई॥

    अविगत गति तुम्हरी अविनासी, घट घट रहत चलाया।

    जहां तहां तेरी माया खेलै, सतगुरु मोंहि लखाया॥

    वेद पढ़े पढ़ि पंडित भूले, ज्ञानी कथि कथि ज्ञाना।

    कह मलूक तेरी अद्भुत लीला, सो काहू नहिं जाना॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत कवि मलूकदास (पृष्ठ 70)
    • संपादक : त्रिलोकी नारायण दीक्षित
    • रचनाकार : मलूकदास
    • प्रकाशन : अखिल भारतीय संत मलूकदास स्मारक समिति, प्रयाग
    • संस्करण : 1965
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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