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हां रे बीरा ओ संसार अथग जळ भरियौ

han re bira o sansar athag jळ bhariyau

बाबा रामदेव

बाबा रामदेव

हां रे बीरा ओ संसार अथग जळ भरियौ

बाबा रामदेव

और अधिकबाबा रामदेव

    हां रे बीरा संसार अथग जळ भरियौ,

    नीर नजर नईं आवै।

    संसार अथग जळ भरियौ रे, म्हारा लाल॥

    हां रे बीरा सत री नाव गुरु खेवटिया,

    बैठी पार हो जावे म्हारा लाल।

    डूबै जिकै नर करणी रा हीणा रे,

    बिन विश्वास दुःख पावै म्हारा लाल॥

    हां रे बीरा तीन पांच एकण घर लावै,

    धीरज धजा लगावै म्हारा लाल।

    नेम धरम मल्लाह दोय आछा रे,

    समझ नै नाव हलावै म्हारा लाल॥

    हां रे बीरा हालै नाव समंद रै कांठै,

    सत रौ पंथ बुवारै म्हारा लाल।

    चूका जिकै जळ बिच डूबा रे,

    फेर ऊंचा नई आवै म्हारा लाल॥

    हां रे बीरा जग सूं तार उतारै पार,

    वै नर संत बाजै म्हारा लाल।

    कैवै रामदै साचा संत अभय हुय जावै,

    जम सूं नई डरै म्हारा लाल॥

    हे मेरे भाइयो! यह संसार-सागर अथाह है, इसमें पानी दिखाई तो नहीं दे रहा है परंतु इसमें डूब जाओगे। सत्यधर्म की नाव बनाओ और इस नाव को खेने के लिए सद्गुरु धारण करो, और सत्य की नाव पर बैठकर भव-सागर से पार हो जाओ। जो मनुष्य हीन कर्म करते हैं वे इसमें डूब जाते हैं। सद्गुरु में विश्वास नहीं रखने वाले कष्ट पाते हैं। पाँचों तत्त्व और तीनों नाड़ियों का ब्रह्मरंध्र में संगम करवा दो और उस नाव पर धैर्य का ध्वज फहरा दो। फिर धर्म और नियम रूपी दो मल्लाह बड़ी सूझ-बूझ से इस नाव को चलाएँगे। इस प्रकार चलती हुई नाव-भव सागर के तट पर पहुँचेगी तब आत्म-तत्त्व की प्राप्ति का पथ निष्कंटक हो जाएगा। इस साधना से जो चूक गए, वे भव सागर के अथाह जल में ऐसे डूबेंगे कि फिर कभी ऊपर नहीं सकेंगे। सच्चे संत वे ही हैं जो भव सागर से पार कर देते हैं। रामदेवजी कहते हैं कि सच्चे संत अपनी योग-साधना से सिद्धि प्राप्त करके अभय हो जाते हैं, वे यम से भी नहीं डरते।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बाबै की वांणी (पृष्ठ 100)
    • संपादक : सोनाराम बिश्नोई
    • रचनाकार : बाबा रामदेव
    • प्रकाशन : राजस्थानी ग्रंथागार
    • संस्करण : 2015
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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