आँधरे को हाथी हरि हाथ जा को जैसो आयो
andhare ko hathi hari hath ja ko jaiso aayo
यारी साहब
Yaari Sahab
आँधरे को हाथी हरि हाथ जा को जैसो आयो
andhare ko hathi hari hath ja ko jaiso aayo
Yaari Sahab
यारी साहब
और अधिकयारी साहब
आँधरे को हाथी हरि हाथ जा को जैसो आयो,
बूझो जिन जैसो तिन तैसोई तिन बतायो है।
टकाटोरी दिन-रैन हियै हूँ के फूटे नैन,
आँधरे की आरसी में कहा दरसायो है॥
मूल की ख़बरि नाहिं जा सों यह भयो मुलुक,
वा को बिसारि भोंदू डारै अरुझायो है।
आपनो सरूप रूप आपु माहिं दैखै नाहिं,
कहै यारी आँधरे ने हाथी कैसो पायो है॥
- पुस्तक : यारी साहब की रत्नावली (पृष्ठ 12)
- रचनाकार : यारी साहब
- प्रकाशन : बेलवेडियर प्रेस, प्रयाग
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