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अगम पंथ का जो कोह

agam panth ka jo koh

मीतादास

मीतादास

अगम पंथ का जो कोह

मीतादास

और अधिकमीतादास

    अगम पंथ का जो कोहँ जाय सो या अचरिज देखे।

    बिलरि उंटवै धरि लै जाय, उंटवा महल मां नाचें गाय॥

    तब पानी मां आगी लगाय, ससा भून सिंह कौ खाय।

    सूई डार हथिया कठि जाय, वह हथिया के हाथ पाय

    बुझिहै हरिजन जो या जाय, निगुरा का कुछ जानि जाय।

    करू चतुराई छानी आप, ताहित नरक पहुंचिहौ आय॥

    मीता पद गावै थिर लाय, गरभ वास का चाल ढुड़ाय।

    सतगुरु सेह भरम पद जाय, अनभय भया बुझ सब पाय।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत कवि मीतादास: व्यक्तित्व और कृतित्व
    • संपादक : गोपाल प्यारे
    • रचनाकार : मीतादास
    • प्रकाशन : बुन्देलखंड विश्वविद्यालय झाँसी
    • संस्करण : 1981

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