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आज घिर आये बादल कारे

aaj ghir aaye badal kare

संत सालिगराम

संत सालिगराम

आज घिर आये बादल कारे

संत सालिगराम

और अधिकसंत सालिगराम

    आज घिर आये बादल कारे, गरज-गरज घन गगन पुकारे॥

    रिमझिम बरसत बूँद अमी की, बिजली चमक घट नैन निहारे।

    चहुं दिस बरखा होवत भारी, भीज रही सुरत सुन झनकारे॥

    उमंग-उमंग सुरत चढ़त अधर में, निरख रही घट जोत उजारे।

    घंटा संख धूम अब डाली, बंकनाल धस हो गई पारे॥

    गुरु दरशन कर अति हरखानी, पहुँची जाय सुन्न दस द्वारे।

    सत्त पुरुष के चरन परस कर, राधास्वामी अचरज दरस निहारे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 352)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत सालिगराम
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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