Font by Mehr Nastaliq Web

श्री नेमिनाथ फागु

shri neminath phagu

राजशेखर सूरि

राजशेखर सूरि

श्री नेमिनाथ फागु

राजशेखर सूरि

और अधिकराजशेखर सूरि

    सिद्धि जेहिं सइ वर वरिय ते तित्थयर नमेवी।

    फागुबंधि पहुनेमिजिणुगुण गाएसएं केवी॥१॥

    अह नवजुव्वण नेमिकुमरु जादवकुलधवलो।

    काजलसामल ललवलउ सुललियमुहकमलो।

    समुदविजयसिवदेविपूतु सोहगसिंगारो।

    जरासिंधुभडभंगभीमु बलिं रूवि अप्पारो॥२॥

    गहिरसहि हरिसंखु जेण पूरिय उद्दंडो।

    हरि हरि जिम हिंडोलियउ भुयदंडपंयडो।

    तेयपरिवक्कमि आगलउ पुणि नारिविरत्तउ।

    सामि सुलक्खणसामलउ सिवसिरिअणुरत्तउ॥३॥

    हरिहलहरसउं नेमिपहु खेलइ मास वसंतो।

    हावि भावि भिजइ नही भामिणिमाहि भमंतो॥४॥

    अह खेलइं खडोखलिय नीरि पुणु मयणि नमावइ।

    हरिअंतेउरमाहि रमइ पूणि नाहु राचइ।

    नयणसलूणउ लडसडतु जउ तरिहिं आविउ।

    माइ बापि बंधविहिं मांड वीवाह मनाविउ॥५॥

    घरि घरि उत्सव बारवए राउल गहगहए।

    तोरण वंदुरवाल कलस धयवड लहलहए।

    कन्हडि मागिय उग्गसेणधूय राजल लाधा।

    नेमि ऊमाहीय, बाल अट्ठभवनेहनिबद्धा॥६॥

    राइमए सम तिहु भुवणि अंवर अत्थइ नारे।

    मोहणविल्लि नवल्लडीय उप्पनीय संसारे॥७॥

    अह सामलकोमल केशपाश किरि मोरकलाउ।

    अद्धचंद समु भालु मयणु पोसइ भडवाउ।

    वंकुडियालीय भुंहडियहं भरि भुवणु भमाडइ

    लाडी लोयणलहकुडलइ सुर सग्गह पाडइ॥८॥

    किरि सिसिबिंब कपोल कन्नहिंडोल फुरंता

    नासा वंसा गरुडचंचु दाडिमफल दंता।

    अहर पवाल तिरेह कंठु राज लसर रूडउ

    जाणु वीणु रणरणइं जाणु कोइलटहकडलउ॥९॥

    सरलतरल भुयवल्लरिय सिंहण पीणघणतुंग।

    उदरदेसि लंकाउली सोहइ तिवलतुरंगु॥१०॥

    अह कोमल विमल नियंबबिंब किरि गंगापुलिणा,

    करिकर ऊरि हरिण जंघ पल्लव करचरणा।

    मलपति चालति वेलहीय हंसला हरावइ

    संझारागु अकालि बालु नहकिरणि करावइ॥११॥

    सहजिहि लडहीय रायमए सुलखण सुकमाला।

    घणउं घणेरउं गहगहए नवजुब्वण बाला।

    भंभरभोली नेमिजिणवीवाह सुणेई

    नेहगहिल्ली गोरडी हियडइ विहसेई॥१२॥

    सावणसुकिलछट्ठि दिणि बावीसमउ जिणंदो

    चल्लइ राजलपरिणयण कामिणिनयणाणंदो॥१३॥

    अह सेयतुंगतरलतुरइ रइरहि चडइ कुमारो

    कन्निहि कुंडल सीसि मउड गलि नवसरहारो।

    चंदणि ऊगटि चंदधवलकापडि सिणगारो

    केवडियालउ खुंपु भरवि वंकुडउ अतिफारो॥१४॥

    धरहि छत्तु, वित्तु, चमर चालहिं मृगनयणी

    लूणु उत्तारिहि वरबहिणी हरि सुज्जलवयणी।

    चहुपरि बइसइ दसारकोडि जादवभूपाला

    हयगयरहपायक्कचक्कसी किरिहिं झमाला॥१५॥

    मंगल गायहिं गोरडीय भट्टह जयजयकारो।

    उग्गसेणघरनारि वरो पहुतउ नेमिकुमारो॥१६॥

    अहसिहिय पयंपय हल सहि तुह वल्लहउ आवइ

    मालिअटालिहिं चडिउ लोउ मण नयणु सुहावइ।

    गउखि बइठी रायमए नेमिनाहु निरखइ

    पसइपमाणिहिं चंचलिहिं लोअणिहिं कडखइं॥१७॥

    किम किम राजलदेवितणउ सिणगारु भणेवउ।

    चंपइगोरी अइधोइ अंगि चंदनुलेवउ।

    खुंपु भराविउ जाइकुसमि कसतूरी सारी।

    सीमंतइ सिंदूररेह मोतीसरि सारि॥१८॥

    नवरंगी कुंकुमि तिलय किय रयणतिलउ तसु भाले।

    मोतीकुंडल कन्नि थिय बिंबोलिय करजाले॥१९॥

    अह निरतीय कज्जलरेह नयणि मुहकमलि तंबोलो

    नगोदरकंठलउ कंठि अनु हार विरोलो।

    मरगदजादर कंचुयउ फुडफुल्लहं माला।

    करि कंकण मणिबलयचूड खलकाबइ बाला॥२०॥

    रुणुझुणु रुणुझुणु रुणुझुणु कडि घघरियाली।

    रिमिझिमि रिमिझिमि रिमिझिमि पयनेउर जुयली।

    नहिं आलत्तउ वलवलउ सेअंसुयकिमिसि

    अंखडियाली रायमए प्रिउ जोअइ मनरसि॥२१॥

    वाडउ भरिउ जीवडहं टलवलंत कुरलंत।

    अहूठकोडिरूं उद्धसिय देषइ राजलकंतो॥२२॥

    अह पूछइ राजलकंतु कांइ पसुबंधणु दीसइ

    सारहि बोलइ सामिसाल तुह गोरवु हुस्यइ।

    जीव मेल्हावइ नेमिकुमरु सरणागइ पालइ।

    धिगु संसारु असारु इस्यउं इम भणि रहु वालइ॥२३॥

    समुदविजय सिवदेवि रामु केसवु मन्नावइ

    नइपवाह जिम गयउ नेमि भवभमणु भावइ।

    धरणि धसक्कइ पडइ देवि राजल विहलंघल

    रोअइ रिज्जइ वेसु रूवु बहु मन्नइ निष्फलु॥२४॥

    उग्गसेणघूय इम भणइ दुषहिं दाझइ देहो।

    कां वि रतउ कंत तुहं नयणिहि लाइवि नेहो॥२५॥

    आसा पूरइ त्रिहुभुवण मू करि हयासी

    दय करि दय करि देव तुम्ह हउं अछउं दासी।

    सामि पालइ पडिवन्नउं तउ केासु कहीजइ

    मयगलु उवट संचरए किणिं कानि गहीजइ॥२६॥

    नेमि मन्नइ नेहु देइ संवच्छरदाणूं

    ऊजलगिरि संजम लियउ हुय केवलनाणूं।

    राजलदेविसउं सिद्धि गयउ सो देउ थुणीजइ

    मलहारिहिं रायसिहरसूरिकिउ फागु रमीजइ॥२७॥

    [ इति श्री नेमिनाथु फागु ]

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 155)
    • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
    • रचनाकार : राजशेखर सूरि
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
    • संस्करण : 1976

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए