Font by Mehr Nastaliq Web

पंचपंडव चरित रासु (ठवणि २)

panchpanDaw charit rasu (thawani २)

शालिभद्र सूरि

शालिभद्र सूरि

पंचपंडव चरित रासु (ठवणि २)

शालिभद्र सूरि

पणमीउ सामीउ नेमिनाहु अनु अंबिकि माडी

पभणिसु पंडव तणउं चरितु अभिनवपरिवाडी॥

हथिणाउरि पुरि कुरनरिंद केरो कुलमंडणु

सहजिहि संतु सुहागसीलु हूउ नरवरु संतणु॥

तसु घरि राणी अछइ दुन्नि एक नामिं गंगा

पुत्तु जाउ गंगेउ नामि तिणि तिहूणि चंगा॥

सत्यवती छइ अवर नारि तसु नंदण दुन्नि

सवे सलक्खण रूयवंत अनु कंचणवन्नि॥

पहिउलउ बेटउ करमदोसि बालप्पणि विवनउ

विचित्रवीर्यु बीजउ कुमारु बहुगुणसंपन्नउ॥

राउ पहूतउ सरगलोकि गंगेयकुमारि

तउ लघु बंधवु ठविउ, पाटि तिणि वयणविचारि॥

कासीसरघरि तिन्नि धूय अंबिकि अंबाला

त्रीजी अंबा अछइ बाल मयणह जयमाला॥

परिणावेवा तींह बाल सयंवरु मंडाविउ

गंगानंदणु चडीउ रोसि अणतेडिउ आव्यो॥

समरि जिणीय सवि राय बाल लेउ त्रिण्हइ आव्यो

वडउ महोच्छउ करीउ नयरि बंधव परिणाव्यो॥

अंबिकि बेटउ धायराठु सो नयणे आंधउ

अंबाला नउ पुत्तु पंडु त्रिहु भुयणि प्रसिद्धउ॥

अंबानंदणु विदुरु नामु नामि जि सरीखउ

खइ खीणइ पुणु विचित्रवीर्यु पंडु राजि पतीठिउं॥

कुंतादिवि नउं लिविउं, रूपु देखीउ चित्रामि

मोहिउ पंडु नरिंदु चींति अति लीधउ कामिं॥

विद्याधरु वनि कुणिहि एकु मेल्हिउ छइ बांधी।

छोडिउ पंडुकुमारि पासि तसु मुद्रा लाधी॥

एतइं अंधकवृष्णि नामि सोरीपुरसामी

दस बेटा तसु एक धूय कूंतादिवि नामी॥

पाटी आपणहारु पुरुषु सोरियपुरि पहुतउ

“पंडु वरीउ” पिय पासि कूंयरि संभलइ कहंतउ॥

नवि जीमइ नवि रमइ रंगि नवि सहीय बोलावइ

बोलावी ती पहीय जाइ अणतेडी आवइ।

खीजइ मुँझइ रडइ बाल जिम सयरु सतावइ

कमलिणिकाणणि मण समाधि सा किमइ पामइ॥

चंदु चंदणु हीयइ हारु अंगार समाणउ

‘कुणहइ कांइ दहइ दुखु जाणीइ तु जाणउ॥

नीलजु निघिणु मइं अजाणु कांइ मारइ मारो

ईणि जनमि मुझ पंडुकुमर विणु नही भतारो'॥

विरहि विरागीय वण मझारि जाईउ मणि झायइ

‘लवणिम जूवणु रूपरेह तां आलिहिं जाइ'॥

कंठि ठवइ जां पासु डाल तरुयर णी...

आविउ मूंद्रप्रभावि ताम मनि चितिउ सामि॥

परिणीय आपी पंडुकुमरि आपणीय जि थवणी

सहीयर बलि एकति हुई पुत्तु जायउ रमणी॥

गंग प्रवाहिउ रयण माहि घालिउ, मंजूस

कीजइ पातकु पुण्यवंति कइ लाज कि रीसं॥

जाणीउ राइं कुंतिचितु पंडु जु परिणावइ

लिहिउं जासु निलाडि जाम तं सुंजु आवइ॥

॥वस्तु॥

सबलु नरवरु सबलु नरवरु देसि गंधारि

कुंयरि तमु तणए आठ धीय गंधारि पहिलीय

कुलदेवलिआइसिं धायरट्ठ नरनाह दिन्हीय

देवकनरदइं नंदणी कुमुइणि विदुरकुमारि

बीजी मद्रकि मद्रधूय पंडुतणइ घरनारि॥

गभु धरीऊ गभु धरीऊ देवि गंधारि

दुट्ठत्तणि डोहलऊ कूड कलहि जण झुझि गज्जइ

पुरुषवेसि गइंवरि चडई सुहड जैम मनि समरु सज्जइ

गानि रडंता बंदीयण पेखीउ हरिखु करेंइ

सासु ससरा कुणबि से अहनिसि कलहु करेइ॥

स्रोत :
  • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 98)
  • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
  • रचनाकार : शालिभद्र सूरि
  • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
  • संस्करण : 1976

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY