कहानी
कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।
समादृत कवि-कथाकार-अनुवादक और संपादक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।
अन्नपूर्णानंद वर्मा
अनातोले फ्रांस
अभिमन्यु अनत
मॉरिशस से संबद्ध भारतीय मूल के सुपरिचित कवि, कथाकार, नाटककारऔर उपन्यासकार।
अमृत राय
अमृतलाल नागर
समादृत उपन्यासकार-कथाकार। पटकथा-लेखन में भी योगदान। साहित्य अकादेमी-पुरस्कार से सम्मानित।
अमरकांत
यथार्थवादी धारा के समादृत कथाकार। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।
अरुण प्रकाश
सुपरिचित साहित्यकार। समकालीन भारतीय साहित्य पत्रिका के संपादक रहे।
अर्नेस्ट हेमिंग्वे
अवधेश प्रीत
सुपरिचित कथाकार। पत्रकारिता से भी जुड़ाव। पाँच कहानी-संग्रह एवं एक उपन्यास प्रकाशित।
असग़र वजाहत
साठोत्तरी पीढ़ी के बाद के सुप्रसिद्ध कथाकार-उपन्यासकार और नाटककार। समकालीन हिंदी साहित्य के मुस्लिम विमर्श में योगदान।