निबंध
हिंदी निबंध की आरंभिक परंपरा का निर्माण भारतेंदु युग के लेखकों से हुआ। राष्ट्रीय जागरण, मुद्रण-कला का प्रसार एवं पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन, गद्य की बढ़ती लोकप्रियता, अँग्रेज़ी साहित्य से संपर्क आदि ने बतौर विधा निबंध-साहित्य के उदय में प्रमुख भूमिका निभाई। विषय, शैली और भाषा में नवीन प्रयोगों के भारतेंदुयुगीन योगदान के बाद भाषा के मानकीकरण, चिंतन की प्रौढ़ता और शैली के परिष्करण के रूप में प्रमुख योगदान द्विवेदीयुगीन निबंधकारों का रहा। हिंदी निबंध-साहित्य में आचार्य रामचंद्र शुक्ल को केंद्रीय महत्त्व प्राप्त है जिन्होंने विचार, भाषा और शैली तीनों ही स्तरों पर इसे उच्चस्तरीय स्वरूप प्रदान किया। आचार्य शुक्ल ने निबंध को गद्य की कसौटी कहा है।
जगदीश गुप्त
‘नई कविता’ धारा से संबद्ध कवि और समीक्षक। चित्रकार और पुरातत्त्वविद् के रूप में भी योगदान।
जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी
जैनेंद्र कुमार
प्रेमचंदोत्तर युग के समादृत कथाकार, उपन्यासकार और निबंधकार। गद्य में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक।
जयप्रकाश नारायण
जवाहरलाल नेहरू
स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेताओं में से एक। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। भारत के संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक स्वरूप के वास्तुकार। 'दी डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' जैसी कृति के रचनाकार।