पुराना पेड़ : नया वसंत
श्री माखनलाल चतुर्वेदी के संबंध में सहज श्रद्धावश लिखने का निश्चय काफ़ी पहले किया था लेकिन जब लिखने की बारी आई और मैंने उनके विषय में कुछ सोचना-विचारना शुरू किया तो लगा कि सच पूछिए तो सीधी आँखो से मैंने कभी उन्हें देखा भी नहीं है। जिने कभी देखा नहीं,