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सुमन केशरी

1958 | मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार

‘याज्ञवल्क्य से बहस’ शीर्षक कविता-संग्रह की कवयित्री। भावसघन विचारोत्तेजना के लिए उल्लेखनीय।

‘याज्ञवल्क्य से बहस’ शीर्षक कविता-संग्रह की कवयित्री। भावसघन विचारोत्तेजना के लिए उल्लेखनीय।

सुमन केशरी का परिचय

सुमन केशरी का जन्म 15 जुलाई, 1958 को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में हुआ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से सूरदास के भ्रमरगीत पर शोधकार्य के बाद वर्ष 2001 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, पर्थ से एमबीए भी किया। वह भारत सरकार के प्रशासन संबंधी और कालांतर में अकादेमिक कार्यों से जुड़ी रहीं। 2013 में भारत सरकार में निदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से मीरा बाई की लोक-सुरक्षित स्मृतियों पर डी लिट में संलग्न हुईं। 

लगभग तीन दशकों के रचनात्मक जीवन में सुमन केसरी ने समकालीन दौर की बेचैनियों को दर्ज किया ही है, परंपरा का परीक्षण और पुनरीक्षण भी किया है। अनछुए विषयों में संश्लिष्ट बोध और सघन संवेदना के साथ प्रवेश को उनके काव्य-मुहावरे की विशिष्ट पहचान कहा गया है।

'याज्ञवल्क्य से बहस', 'मोनालिसा की आँखें', 'शब्द और सपने' और 'पिरामिडों की तहों में' उनके काव्य-संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने ‘जेएनयू में नामवर सिंह’ नामक पुस्तक का संपादन भी किया है।

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