पुरुष को मनुष्य के रूप में और स्त्री को स्त्री के रूप में परिभाषित किया जाता है—जब भी वह मनुष्य की तरह व्यवहार करती है, उस पर पुरुष की नक़ल करने का आरोप लगाया जाता है।
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अगर स्त्री का मुद्दा इतना बेतुका है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरुष के अहंकार ने इसे चर्चा का विषय बना लिया है।
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किसी के जीवन का मूल्य तभी तक है जब तक वह प्रेम, दोस्ती और करुणा के द्वारा दूसरों के जीवन को मूल्यवान बनाता है।
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शरीर कोई चीज़ नहीं, बल्कि एक स्थिति है : यह दुनिया पर हमारी पकड़ है और हमारी योजना की रूपरेखा है।
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जिस दिन मैं नहीं लिखती, वह कसैला स्वाद छोड़ देता है।
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