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संत तुकाराम

1608

महाराष्ट्र के संत कवि। भक्ति के अभंग पदों के लिए प्रसिद्ध।

महाराष्ट्र के संत कवि। भक्ति के अभंग पदों के लिए प्रसिद्ध।

संत तुकाराम की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 29

लोभी के चित धन बैठे, कामिनि के चित काम।

माता के चित पूत बैठे, तुका के मन राम॥

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तुका बड़ो मानूं, जिस पास बहुत दाम।

बलिहारी उस मुख की, जिस ते निकसे राम॥

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तुका दास तिनका रे, राम भजन नित आस।

क्या बिचारे पंडित करो रे, हात पसारे आस॥

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राम कहे सो मुख भला रे, बिन राम से बीख।

आय जानू रमते बेरा, जब काल लगावे सीख॥

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राम-राम कह रे मन, और सुं नहिं काज।

बहुत उतारे पार आगे, राखि तुका की लाज॥

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पद 8

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