प्रयागनारायण त्रिपाठी का परिचय
जन्म : 25/08/1919 | रायबरेली, उत्तर प्रदेश
निधन : 02/11/2005
‘तीसरा सप्तक’ के कवि प्रयागनारायण त्रिपाठी का जन्म 25 अगस्त 1919 को रायबरेली के रालपुर में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा इलाहाबाद में हुई फिर कुछ वर्षों के शैक्षणिक व्यवधान के बाद कानपुर से अँग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया। दैनिक ‘प्रताप’ के संपादकीय विभाग में पार्ट-टाइम नौकरी की और इस दौरान सनातन कॉलेज, कानपुर में अँग्रेज़ी के प्राध्यापक भी रहे। बाद में भारत सरकार के सूचना मंत्रालय के हिंदी विभाग से संबद्ध हुए।
उनकी रचनात्मकता का आरंभ पारिवारिक राम-भक्त वैष्णव परपंरा के प्रभाव में हुआ। छायावादी दौर के कवियों को पसंद करते रहे और अँग्रेज़ी कवियों के प्रभाव में भी आए। ‘तीसरा सप्तक’ के उनके वक्तव्य से संकेत मिलता है कि कविताओं के रूप और अभिव्यक्ति को लेकर वह असंतुष्ट बने रहे थे। पारंपरिक छंद में वह अपने अनुभूत की अभिव्यक्ति कर नहीं पा रहे थे, और मुक्त छंद में आगे बढ़ने पर भी अपनी अभिव्यक्ति के प्रति सशंकित बने रहे। उनकी शंका स्वयं की अभिव्यक्ति तक ही सीमित नहीं थी और वह समकालीन नई कविता में प्रकट हो रही अभिव्यक्तियों में से बहुत-कुछ को बकवास मानते थे। कविता अभिव्यक्ति के जिस नए शिल्प पर आगे बढ़ी थी, संभवतः उसमें वह स्वयं से एवं अन्य समकालीन कवियों से अधिक की अपेक्षा रखते थे।
कालांतर में वह अरविंद-दर्शन के प्रभाव में आए और उसका अनुसरण शुरू कर दिया। उत्तराखंड में अरविंद-आश्रम की स्थापना में योगदान किया। ‘स्वर-सेतु’ और ‘यात्रा-चिंतन’ उनकी दो किताबें हैं जो दर्शन-संबंधी आग्रह परिलक्षित करती हैं। 2 नवंबर 2005 को उनका कोलकाता में निधन हो गया।