मोहनलाल महतो वियोगी हिंदी साहित्य संसार की अत्यंत प्रखर प्रतिभा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने दस से अधिक पुस्तकों की रचना की। इनमें ‘निर्माल्य’, ‘एकतारा’ और ‘रजकण’ अपनी हृदयस्पर्शी वैयक्तिकता के लिए सदैव स्मरणीय हैं। वियोगी जी का गद्य-लेखन भी बेहद समृद्ध है। वह कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध और संस्मरण विधाओं में समय-समय पर प्रचुर लेखन करते रहे। राष्ट्र-प्रेम की भावना से संयुक्त विचार-पक्ष उनकी रचनाशीलता का बुनियादी पहलू है।