कुबेरनाथ राय का परिचय
जन्म : 01/03/1933 | ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश
निधन : 01/06/1996
कुबेरनाथ राय का जन्म उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िले के मनसों ग्राम में 26 मार्च, 1933 को एक कृषक भूमिहार परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम बैकुंठ नारायण राय और माता का नाम लक्ष्मी राय था। उनकी आरंभिक शिक्षा गाँव के विद्यालय में हुई, फिर वह उच्च शिक्षा के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय गए। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अँग्रेज़ी विषय में एम.ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। अल्पायु में ही उनका विवाह हो गया था। शिक्षा पूरी कर पहले वह कलकत्ता के विक्रम विद्यालय में अध्यापक का कार्य करने लगे, फिर सन् 1959 में असम के नलबारी कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। यहाँ वह 27-28 वर्षों तक रहे, फिर जब असम में अशांति फैली तो गाज़ीपुर लौट आए और स्वामी सहजानंद महाविद्यालय के प्राचार्य के रूप में नियुक्त हुए।
माना जाता है कि उनके लेखन का आरंभ हुमायूँ कबीर के इतिहास-लेखन के प्रतिरोध के रूप में हुआ था। वह मूलतः निबंध लेखक थे, हालाँकि उनका एक कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुआ है। उनके 20 निबंध संग्रह प्रकाशित हैं।
ललित-निबंधकार के रूप में उन्हें सरदार पूर्णसिंह, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और विद्यानिवास मिश्र की परंपरा में रखा जाता है। ललित-मनोहर शैली में पुराणों, मिथकों और अन्य ग्रंथों की सामग्री पर उनकी समसामयिक प्रसंग की टिप्पणी उन्हें एक विशिष्ट निबंधकार बनाती है, जहाँ उनकी दृष्टि इतिहास-बोध या तर्क के बजाय सौंदर्य पर अधिक टिकी रहती है। सौंदर्य की अकुंठ अभिव्यक्ति को उनके निबंधों का प्राण कहा गया है। भारतीय साहित्य, गंगातीरी लोकजीवन एवं आर्येतर भारत, रामकथा, गाँधी-दर्शन और आधुनिक विश्व चिंतन उनके निबंधों की प्रमुख दिशाएँ रही हैं, जहाँ सारे ही विषय क्षेत्रों में उनका उद्देश्य मनुष्य को पृथ्वी और ईश्वर से जोड़कर प्रस्तुत करना रहा।
कुबेरनाथ राय को भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्ति देवी पुरस्कार सहित अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
प्रमुख कृतियाँ
निबंध-संग्रह : प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, विषाद योग, निषाद-बाँसुरी, पर्णमुकुट, महाकवि की तर्जनी, पत्र मणिपुतुल के नाम, कामधेनु, मन-पवन की नौका, किरात नदी में चंद्रमधु, दृष्टि-अभिसार, त्रेता का वृहतसाम, मराल, उत्तर-कुरू, चिन्मय भारत, वाणी का क्षीर-सागर, अंधकार की अग्निशिखा, रामायण महातीर्थम्, आगम की नाव।
कविता-संग्रह : कथामणि।
लेख-संग्रह : पुनर्जागरण के शलाका पुरुष सहजानंद सरस्वती।