कीर्ति चौधरी का परिचय
मूल नाम : कीर्ति बाला सिन्हा
जन्म : 01/01/1934 | उन्नाव, उत्तर प्रदेश
निधन : 13/06/2008
संबंधी : अजित कुमार ()
‘तीसरा सप्तक’ में शामिल कवयित्री कीर्ति चौधरी का जन्म 1 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के एक ज़मींदार कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम कीर्तिबाला सिन्हा था, कविताएँ कीर्ति चौधरी नाम से प्रकाशित कराती थीं। शिक्षा-दीक्षा उन्नाव और कानपुर से हुई। उनमें साहित्यिक संस्कार परिवार से ही पड़ा। उनकी माँ सुमित्रा कुमारी सिन्हा हिंदी की लोकप्रिय कवयित्री सह गीतकार थीं और पिता भी साहित्यिक अभिरुचि रखते थे। उनके परिवार का प्रेमचंद, निराला जैसे साहित्यिकों से निकट संबंध रहा था। उनका विवाह ओंकारनाथ श्रीवास्तव से हुआ जो हिंदी के सर्वश्रेष्ठ रेडियो प्रसारकों में से एक थे और स्वयं भी साहित्यिक रचनाएँ करते थे। उनके भाई अजित कुमार भी हिंदी में सुपरिचित नाम रहे हैं जिन्होंने ‘बच्चन रचनावली’ का संपादन किया है और कई संस्मरण लिखे हैं।
उनकी कविताओं में एक मोहक प्रगीतात्मकता पाई जाती है और उनमें गाँव-क़स्बे-शहर का संपूर्ण जीवन मौजूद है। उन्होंने प्रतीकों और बिंबों का भी बहुतायत से प्रयोग किया है। ‘तीसरा सप्तक’ में उनके साथ रहे कालांतर के प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह ने कहा था—‘‘महादेवी वर्मा के बाद हिंदी कविता में जो एक रिक्तता आई थी, उसे कीर्ति अपने मौलिक लेखन से पाटती हैं। उनकी कविता एक नए साँचे में थी जिसकी बनावट अलग थी। उसमें एक ताज़गी थी। और अपनी रचनाओं के तल में उनके पास एक ख़ास तरह का स्त्री सुलभ संवेदना का ढाँचा था जो उनके समय में किसी और के पास नहीं था।"
13 जून 2008 को लंदन में उनका निधन हुआ।