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जल्हण

12वीं सदी के कश्मीर के प्रमुख संस्कृत कवि। 'सोमपाल विलास', 'सूक्तिमुक्तावली', 'मुग्धोपदेश', 'सप्तशती छाया' आदि कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

12वीं सदी के कश्मीर के प्रमुख संस्कृत कवि। 'सोमपाल विलास', 'सूक्तिमुक्तावली', 'मुग्धोपदेश', 'सप्तशती छाया' आदि कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

जल्हण की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

यह देशांतर-भ्रमण बहुत बड़े साहस का काम है। इसमें सुख का कदाचित् ही दर्शन होता है। हमारे सभी विशिष्ट गुणों की कसोटी यात्रा की इन विपत्तियों में हो जाती है। अनेक प्रकार की परिस्थितियों और परिचयों के झमेले में अपने को प्रगल्भ बनाना पड़ता है। कष्ट भोगने की तो अंतिम सीमा हो जाती है। धन के लोभी बनियों के पास खाने-पीने की चीज़ें ख़रीदने के लिए इसी समय अधिकाधिक जाने का अवसर आता है। अधिक क्या कहा जाए, यदि देश भ्रमण के बाद सकुशल लौट आने का सुअवसर जाए तो उसे दूसरा जन्म समझना चाहिए। मैं तो अब इस देशांतर जाने की इच्छा को नमस्कार करता हूँ।

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