हरि मृदुल का परिचय
हरि मृदुल का जन्म उत्तराखंड राज्य में नेपाल और चीन की सीमा पर बसे बगोटी गाँव में 4 अक्टूबर, 1969 को हुआ। कविताएँ और लोकगीत बचपन से लिखने लगे थे। स्नातकोत्तर की उपाधि बरेली में पाई। बरेली में ही वीरेन डंगवाल और फिर उनके माध्यम से नागार्जुन के सान्निध्य में आए तो कविता से निकटता और बढ़ी। रोज़गार के सिलसिले में मुंबई में रहे तो निदा फ़ाज़ली और विष्णु खरे के निकट संपर्क में रहे।
‘सफ़ेदी में छुपा काला’ और ‘जैसे फूल हज़ारी’ उनके दो काव्य-संग्रह हैं। हिंदी के अलावे उन्होंने अपनी मातृभाषा कुमाऊंनी में भी निरंतर कविताएँ लिखी हैं। हाल में दोहा विधा में उनकी सक्रियता ने ध्यान खींचा है। कविताओं के अलावे उन्होंने कहानी, लघुकथा और बाल-साहित्य का भी सृजन किया है जो पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनकी कविताएँ विभिन्न पत्रिकाओं के साहित्य विशेषांक और युवा विशेषांक में शामिल की गई हैं और विभिन्न भारतीय भाषाओँ में उनके अनुवाद हुए हैं। उनकी सक्रियता फ़िल्म पत्रकारिता के क्षेत्र में भी रही है।
उन्हें ‘सफ़ेदी में छुपा काला’ काव्य-संग्रह के लिए ‘हेमंत स्मृति कविता सम्मान’ और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के संत नामदेव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह कथादेश पत्रिका के अखिल भारतीय लघुकथा पुरस्कार, कादंबिनी के अखिल भारतीय लघुकथा पुरस्कार, फ़िल्म पत्रकारिता के लिए भारतीय पत्रकार विकास परिषद के हिमांशु राय पुरस्कार, कहानी के लिए ‘वर्तमान साहित्य के कमलेश्वर कहानी पुरस्कार, रामप्रकाश पोद्दार पत्रकारिता पुरस्कार, प्रियदर्शिनी पुरस्कार आदि से सम्मानित किए गए हैं।