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Dwijendranaath Mishra 'Nirgun''s Photo'

द्विजेंद्रनाथ मिश्र 'निर्गुण'

1915 - 1993 | बदायूँ, उत्तर प्रदेश

कम चर्चित कहानीकार। परंपरागत विषयवस्तु में अनुभूति के नए आयामों का अन्वेषण। जीवंत शैली।

कम चर्चित कहानीकार। परंपरागत विषयवस्तु में अनुभूति के नए आयामों का अन्वेषण। जीवंत शैली।

द्विजेंद्रनाथ मिश्र 'निर्गुण' का परिचय

उपनाम : 'Dwijendranaath Mishra 'Nirgun''

जन्म : 15/09/1915 | बदायूँ, उत्तर प्रदेश

द्विजेंद्रनाथ मिश्र ‘निर्गुण’ का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्थित बदायूँ जनपद के कुँवर गॉव में 1915 को हुआ था। पिता का नाम श्री ललिता प्रसाद मिश्र और माता का नाम श्रीमती रुक्मिणी देवी था। नाना श्री रामप्रसाद शर्मा संस्कृत व्याकरण के विद्वान थे, माता बदायूँ के मॉडल स्कूल में अध्यापिका थी, उन्हें संस्कृत का अच्छा ज्ञान और हिंदी-साहित्य में अभिरूचि थी।

'मिश्र' जी ने एन. आर. कॉलेज खुर्जा से शास्त्री, गवर्मेंट संस्कृत कॉलेज बनारस से 1939 ई0 में प्रथम श्रेणी में संस्कृत साहित्य में आचार्य के साथ-साथ साहित्य सम्मेलन प्रयाग का साहित्य रत्न तथा 1954 में आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम. ए. परीक्षाएँ उत्तीर्ण की।

तत्कलीन राजकीय संस्कृत कॉलेज की साहित्याचार्य परीक्षा में प्रथम ही नहीं हुए बल्कि निर्गुण जी ने यह रिकार्ड भी तोड़ा था। 'बिब्लोग्राफी ऑफ संस्कृत ड्रांमास' एवं संस्कृत नाटिकाएँ-विषयों पर शोध कार्य भी निर्गुण जी ने किये। कथाशिल्पी निगुर्ण जी की तेरह वर्ष की ही अवस्था में इनकी पहली रचना 'अभागी' प्रकाशित हुई थी। सन्‌ 1936 से 1940 तक माया का संपादन करने के बाद निर्गुण जी गवर्मेण्ट संस्कृत कॉलेज बनारस में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए थे। बाद में यह कॉलेज संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में परिणत हो गया और सन्‌ 1972 में निर्गुण जी ने 'रीडर' पद में अवकाश ग्रहण किया।

निर्गुण जी की सन्‌ 1934-35 में इनकी आरम्भिक कविताएँ दिल्‍ली से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक 'चित्रपट' में छपने लगी। श्री द्विजेंद्र नाथ मिश्र 'निर्गुण' सन्‌ 1936 से 1940 तक इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'माया' के संपादक रहे और प्रारम्भ में 'मनोहर कहानियाँ' का संपादन भी किया। 
आरम्भिक दौर की उनकी कविताएँ 'सरस्वती', 'माधुरी' 'हंस', 'प्रताप’, 'भारत' तथा ‘अर्जुन’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी। इनके कम से कम छ: उपन्यास और लगभग 23 कहानी संग्रह प्रकाशित हुए थे। लगभग तीन सौ कहानिया हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

निर्गुण जी की कहानियों में 'छाया' (1938), 'पूर्ति' (1940) 'बहूजी' (1941) 'टीला' (1945), 'कच्चा धागा' (1947), 'खोज' (1950), दो किनारे (1952) 'प्यार के भूखे' (1954),टूटे सपने" (1954) 'ज़िंदगी' (1954), “दायरे तथा अन्य कहानियाँ (1968), 'हारूँगी नहीं (1969), 'लाजवन्ती' (1970), 'मेरी प्रिय कहानियां '(1974), सहित कुल 23 प्रकाशित कहानी संग्रह हैं। लंबी बीमारी के बाद जून 1993 ई0 को द्विजेंद्र नाथ मिश्र 'निर्गुण' का निधन हो गया।

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