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दिनेश कुमार शुक्ल

1950 | कानपुर, उत्तर प्रदेश

सुपरिचित कवि। आधुनिक कविता में परंपरा-बोध और लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवि। आधुनिक कविता में परंपरा-बोध और लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

दिनेश कुमार शुक्ल का परिचय

दिनेश कुमार शुक्ल का जन्म 18 अप्रैल, 1950 को कानपुर के नर्वल गाँव (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्हें शब्द और मनुष्य की समेकित संस्कृति का संश्लिष्ट कवि कहा गया है जिनकी कविताओं में जीवन के द्वंद्व से उत्पन्न आलाप एक स्वर-समारोह की तरह प्रकट होता है। वह नई कविता में छंद-परंपरा को कुशल शिल्पी की तरह बरतने के लिए जाने जाते हैं। पारंपरिक साहित्यिक एवं लोकरूपों के प्रयोग ने उनकी कविताओं को एक अलग पहचान दी है।
‘समय चक्र’, ‘कभी तो खुलें कपाट’, ‘नया अनहद’, ‘कथा कहो कविता’, ‘ललमुनियाँ की दुनिया’, ‘आखर-अरथ’, ‘समुद्र में नदी’ और ‘एक पेड़ छतनार’ उनके काव्य-संग्रह हैं. इसके अलावा उन्होंने पाब्लो नेरुदा की कविताओं का काव्यानुवाद किया है और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके आलोचनात्मक गद्य, समीक्षाएँ, टिप्पणियाँ और निबंध प्रकाशित होते रहे हैं।
उन्हें 'केदार सम्मान', 'सीता स्मृति सम्मान' आदि से नवाज़ा गया है। 

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