1890 - 1960 | मौस्को
समादृत रूसी कवि-लेखक-अनुवादक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।
जिन दिनों की यह घटना है, उन दिनों रूस में आज जैसी ही सामाजिक परिस्थितियाँ थीं और छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बन जाया करता था। एक दिन किसी बड़े शहर में एक अफ़वाह फैली कि एक नौजवान अपने-आपको नीलामी पर चढ़ा रहा है। नीलामी वाले दिन लोगों की भीड़ शहर से निकलकर
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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