प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
रीतिबद्ध के आचार्य कवि। काव्यांग-निरूपण में सिरमौर। शृंगार-निरूपण के अतिरिक्त नीति-निरूपण के लिए भी उल्लेखनीय।
तजि आसा तन, प्रान की, दीपै मिलत पतंग।
दरसाबत सब नरन कों, परम प्रेंम कौ ढंग॥
जीबन-लाभ हमें, लखै स्याम-तिहारी काँति।
बिनाँ स्याम-घन-छन प्रभा, प्रभा लहै किहि भाँति॥
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