अजंता देव का परिचय
अजंता देव का जन्म जोधपुर के एक प्रवासी बंगाल परिवार में हुआ। उनकी उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी हुई। शास्त्रीय संगीत (गायन), नृत्य, चित्रकला, नाट्य और अन्य कई कलाओं में गहरी रुचि रखती हैं और इन विधाओं में सक्रिय भी रही हैं।
बचपन से गाने का शौक़ था तो फिर लिखने भी लगीं। शुरुआत छंद से हुई। दोस्तों के संग साप्ताहिक गोष्ठी होती थी जहाँ धीरे-धीरे बहुत लोग जुटने लगे। उन्हें यहीं अपना रास्ता मिल गया और कविताएँ लिखने लगीं।
कविता में छंद, लय और सांगीतिकता उनकी शक्ति है। पिता शास्त्रीय गायक थे तो छंद की ओर नैसर्गिक लगाव हुआ। यही गुण उन्हें अपनी पीढ़ी की कवयित्रियों से अलग भी करता है और यही उन्हें सेतु भी बनाता है। कविता में व्यंजना उनका औज़ार है जिससे समकालीन विमर्श के पुर्ज़े खोलती हैं।
‘राख का क़िला’, ‘एक नगरवधू की आत्मकथा’, ‘घोड़े की आँखों में आँसू’ और ‘बेतरतीब’ उनके प्रकाशित काव्य-संग्रह हैं। विभिन्न प्रकाशन माध्यमों में संयम के साथ उनकी कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं। कविता में अपने अलहदा स्वर के लिए बहुप्रशंसित हैं। कविताओं के अतिरिक्त गद्य में भी अपने मन का लेखन करती रही हैं जहाँ लेखन के एकांतिक सौंदर्य के लिए पसंद की जाती हैं।