अज्ञेय की संपूर्ण रचनाएँ
कविता 54
गीत 1
संस्मरण 1
कहानी 5
आत्मकथ्य 1
आलोचनात्मक लेखन 3
उद्धरण 16
नंगा होने, नंगे हो जाने, नंगा करने में फ़र्क़ है। गहरा फ़र्क़। शिशु और जंतु का नंगा होना सहजावस्था है; आदमी जब नंगा हो जाता है तब वह ग्लानि अथवा अपमान की स्थिति होती है। स्त्री जब नंगी की जाती है तब वह भी अपमान और जुगुप्सा की स्थिति होती है—या आपकी बुद्धि वैसी हो तो हँसी की हो सकती है। स्त्री का लहँगा उतारना, या बंदरिया को लहँगा पहनाना—दोनों इन प्राणियों की प्रकृत परिविष्ट अवस्था को हीन दृष्टि से देखने के परिणाम हैं।