आदर्श भूषण की संपूर्ण रचनाएँ
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अक्टूबर किसी चिड़िया के बिलखने की आवाज़ है
यहाँ तुम नहीं हो। इस जगह सिर्फ़ तुम्हारी संभावनाएँ हैं, बिल्कुल पिघले हुए मोम की तरह, जिसमें न लौ बची है और न पिघलने की उष्णता। बस बची है, तो रात की एक
By आदर्श भूषण | 10 सितम्बर 2023
मृत्यु के आईने में जीवन कितना कुरूप दिखता होगा
मन के गहरे में बस डूब है। ऐसी डूब, जिसमें उत्तरजीविता एक प्रश्न की तरह सतह पर छूट जाए। सतह पर जीवन की संभावना भी गुंजलकों के हुलिए में। डूब का समय अपन
By आदर्श भूषण | 01 जून 2023