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ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी (एन. सी. ई. आर. टी)

uudho! tum hau ati baDbhagi (en. si. ii. aar. tee)

सूरदास

सूरदास

ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी (एन. सी. ई. आर. टी)

सूरदास

और अधिकसूरदास

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    एक

    ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।
    अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
    पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
    ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
    प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोर्यौ, दृष्टि न रूप परागी।
    ‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी॥

    दो

    मन की मन ही माँझ रही। 
    कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही। 
    अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही। 
    अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही। 
    चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही। 
    'सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही॥

    तीन

    हमारैं हरि हारिल की लकरी। 
    मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी। 
    जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। 
    सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी। 
    सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी। 
    यह तौ 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी॥

    चार

    हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। 
    समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए। 
    इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए। 
    बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए। 
    ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए। 
    अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए। 
    ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए। 
    राज धरम तौ यहै 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए॥

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    सूरदास

    सूरदास

    स्रोत :
    • पुस्तक : क्षितिज (भाग-2) (पृष्ठ 5)
    • रचनाकार : सूरदास
    • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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