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तिहारो को पावै प्रभु पार

tiharo ko pawai prabhu par

सत्यनारायण कविरत्न

सत्यनारायण कविरत्न

तिहारो को पावै प्रभु पार

सत्यनारायण कविरत्न

और अधिकसत्यनारायण कविरत्न

    तिहारो को पावै प्रभु पार?

    बिपुल सृष्टि नित नव विचित्र के चित्रकार-आधार॥

    मकरी के सम जगत-जाल यहि, सृजत और बिस्तारत।

    कौतुक ही में हरत ताहिं पुनि, वेद पुरान उचारत॥

    जग में तुम, तुम में सब जग, बासुदेव, अभिराम।

    सकल रंग तन बसत आपके, याही सों घनस्याम॥

    परम पुरुष तुम प्रकृति-नटी संग, लीला रचत अपार।

    जग-व्यापन सों, ‘विष्णु' कहावत, अचरज, तउ अविकार॥

    जितने जात समीप, दूर अति होत जात सब ग्यान।

    सत्य छितिज सम तरसावत नित, बिस्व-रूप भगवान॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 368)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : सत्यनारायण कविरत्न
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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