सोहै न तोके पतलून साँवर गोरवा
sohai na toke patlun sanwar gorawa
बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
Badrinarayan Chaudhary 'Premghan'
सोहै न तोके पतलून साँवर गोरवा
sohai na toke patlun sanwar gorawa
Badrinarayan Chaudhary 'Premghan'
बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
और अधिकबदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
सोहै न तोके पतलून साँवर गोरवा।
कोट-बूट-जाकेट-कमीच क्यों पहिनि बने बैबून, साँवर गोरवा।
काली सूरत पर काला कपड़ा देत किए रंग दून, साँवर गोरवा।
अंग्रेज़ी कपड़ा छोड़ह कितौ ल्याय लगाव: मुहे चून, साँवर गोरवा।
दाढ़ी रखि कै बार कटावत और बढ़ाए नाखून, साँवर गोरवा।
चलत चाल बिगरैल घोड़ सम बोलत जैसे मजनून, साँवर गोरवा।
चंदन तजि मुँह ऊपर साबुन काहे मलह दुओ जून, साँवर गोरवा।
चूसह चुरुट लाख पर लागत पान बिना मुँह सून, साँवर गोरवा।
अच्छर चारि पढेह अंग्रेज़ी बनि गये अफलातून, साँवर गोरवा।
मिलहि मेम तोहे कैसे जेकर फेयर फेस लाइक दी मून, साँवर गोरवा।
बिसकुट, केक, कहाँ तू पैब्या चाभ: चला भले भून, साँवर गोरवा।
डियर 'प्रेमघन' हियर दयाकर गीत न गावो लेंबबून, साँवर गोरवा।
- पुस्तक : कविता-कौमुदी, दूसरा भाग-हिंदी (पृष्ठ 48)
- संपादक : रामनरेश त्रिपाठी
- रचनाकार : बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
- प्रकाशन : हिंदी-मंदिर, प्रयाग
- संस्करण : 1996
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