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जय गंगे जय तारनितरनि

jay gange jay taranitarani

जुगलप्रिया

जुगलप्रिया

जय गंगे जय तारनितरनि

जुगलप्रिया

और अधिकजुगलप्रिया

    जय गंगे जय तारनितरनि।

    भवर तरंग उमंगति लहरी मंगलरेनु बिमल बुद्धि करनि॥

    पुलिन प्रतीत मंद मारुत बह निर्मल धार धवल छवि धरनि।

    जेते जंतु जीव जल थल नभ सब की तीन ताप तम हरनि॥

    हरि चरनारविंद ते प्रगटी ब्रह्म कमंडल सिर आभरनि।

    शंकर सीस सौत गिरिजा की भागीरथ रथ की अनुचरनि॥

    गिरिवर नगर ग्रामवल वेधित प्रबल बारिधि बट वरनि।

    दरस परस मज्जन सुपानते दूर होय दुख दारिद दरनि॥

    सुलभ त्रिवर्ग स्वर्ग अपवर्गहु कामधेनु सुख सफल वितरनि।

    जय श्रीसुरसम हरि रति दीजै जुगल प्रिया की असरन सरनि॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : स्त्री कवि-संग्रह (पृष्ठ 109)
    • रचनाकार : जुगलप्रिया
    • प्रकाशन : बेलवीडियर प्रिंटिंग वर्क्स, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1979

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