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जब प्रभु दूरि गए तब चेती

jab prabhu duri gaye tab cheti

बख्तराम साह

बख्तराम साह

जब प्रभु दूरि गए तब चेती

बख्तराम साह

और अधिकबख्तराम साह

    जब प्रभु दूरि गए तब चेती।

    अव तौ फिरै नही कबहूँ,

    कोऊ कहौ किन केती॥

    वे तो जाय चढ़े गिरनेरी,

    छांडे सकल जनेती।

    होय दिगंबर लौंच लई कर,

    तू रहि गई पछेती॥

    ध्यान धर्यो जिन चिदानंद कौ,

    सहै परीसह जेती॥

    कम काटि वे जाय मिलेगें,

    मुक्ति कामिनी सेती॥

    चलिए बेग सरन प्रभु ही कैं,

    और विचार हेती॥

    बडे बखत बन कृपा सिंधु कौं,

    जे ध्यावै वै धनिवेती॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी पद संग्रह (पृष्ठ 169)
    • संपादक : कस्तूरचंद कासलीवाल
    • रचनाकार : बख्तराम साह
    • प्रकाशन : गैंदीलाल साह, महावीर भवन, जयपुर
    • संस्करण : 1965
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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