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रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

ratnari ho thari ankhDiyan

रसिकबिहारी

रसिकबिहारी

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ

रसिकबिहारी

और अधिकरसिकबिहारी

    रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ।

    प्रेम छकी रसबस अलसाड़ी, जाणे कमलकी पाँखड़ियाँ॥

    सुंदर रूप लुभाई गति मति, हो गईं ज्यूँ मधु माँखड़ियाँ।

    रसिक बिहारी वारी प्यारी, कौन बसी निस काँखड़ियाँ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : भजन-संग्रह (पृष्ठ 246)
    • रचनाकार : रसिकबिहारी (बनी ठनी)
    • प्रकाशन : गीताप्रेस, गोेरखपुर
    • संस्करण : 2018

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    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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