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गोरस राधिका लै निकरी

goras radhika lai nikri

परमानंद दास

परमानंद दास

गोरस राधिका लै निकरी

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    गोरस राधिका लै निकरी।

    नंद को लाल अमोलो गाहक ब्रज से निकसत पकरी॥

    उचित मोल कहि या दधि को लेहुं मटु किया सगरी।

    कछुक दान को कछुइ कलेहों कहां फिरैगी नगरी॥

    नंद राय को कुंवर लाड़लौ दधि के दाम कौं झगरी।

    परमानंद स्वामी सों मिलि कै सरबसु दे डिगरी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 82)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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