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बनी राधा गिरधर की जोरी

bani radha girdhar ki jori

कुंभनदास

कुंभनदास

बनी राधा गिरधर की जोरी

कुंभनदास

और अधिककुंभनदास

    बनी राधा गिरधर की जोरी॥

    मनहु परस्पर कोटि मदनरति की सुंदरता चोरी॥

    नूतन श्याम नंदनंद बृखभान सुता नव गोरी।

    मनहु परिमल बदन चंद को पीवत चकोर चकोरी॥

    कुंभनदास प्रभु रसिक लाल बहु विधि रसिकनी निहोरी।

    मनहु परस्पर रंग बढ्यो अति उपजी प्रीत थोरी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 53)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : कुम्भनदास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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