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मकर भूला माघ पिराणी

makar bhula magh pirani

जसनाथ

जसनाथ

मकर भूला माघ पिराणी

जसनाथ

और अधिकजसनाथ

    मकर भूला माघ पिराणी, काचै कांधै गाजूं।

    काचो कांधो है कुमलाणो, ज्यों तोड़्योड़ो सागूं।

    काचो कांधो गळमळ जासी, विसर जासी राजूं।

    गजमल घड़िया बाजा बाजै, लोह जड़ाया चाम मंढ़ाया

    डूमा ढोल्यां, म्हारै गुरु रै बाजा बाजै, बिन गज घड़िया

    बिन गज मंढ़िया, बिन छिणमिणियां, बिन लाकड़ियां

    राग छतीसूं घड़सीजी ओ, बाजण लागा बांजू।

    थारै परसण खंच्या बाजा बाजै, सुरनर देव घियावो नाहीं

    हिन्दू मुसळमान पिराणी, डर डर जिवड़ै काजूं।

    रावां रंकां खांनां खोजां, मलक फकीरां सरब गरीबां

    इतरा मांये कूण बसेपो, घड़सीजी मरणै रो एको मांगूं।

    आंवतड़ो जी' के ले आयो, जावंत के ले जागूं।

    आवंतड़ां दस मास लगाया, जातां रतियन लागूं।

    पीपळ पान झड़े झड़ जासी, और लेरा (भलेरा) लागूं।

    कैवत मेरूं फिरै मकेरूं, चौजुग फेरूं,

    घड़सी थे पांतरिया बेमागूं।

    रंग तू रीखूं, सीखूं पाखूं, थांरी काया कुमळाणी ज्यूं सागूं।

    कूकर बुगरो साग भणीजै, नागर बेली सागूं।

    अंतेवर सा वासक नाग भणीजै, बांडकियां बे नागूं।

    एक टोळो हंसा टोळो, बुगलां टोळो बागूं।

    एक राग श्रीकानड़दे रागी, और बी रागै रागूं।

    एक बी पाघ दसासिर बांधी, और बी बांधे पाघूं।

    एक बी खाग मैरावण खागी, और बे खागे खागूं।

    एक पाज श्रीरामजी बांधी, और बी बांधे पाजूं।

    हर रा हीड़ा हणवंत साया, और बी सारे काजूं।

    एक बी लाज श्रीलाखणजी लाजी, निरे निराले,

    निरे निरंजण, एके आसण, गोरख आगळ धंधुकारे,

    जुगां छतीसां, और बतीसां और बी लाजे लाजूं।

    जम जरवाणों जरा जबर कंस, केस कंस चंडुर

    निरदळिया दाणू, हर रै नांव बिना, रतियन रैलो राजूं।

    रतियन रैलो, राज, दाणू दैत सिंघारिया।

    जीत्या क्रिसन मुरार, दाणू भो भो हारिया।

    गुरु प्रसादे गोरख वचने (श्रीदेव) जसनाथ (जी)

    असली ज्ञान विचारिया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सबद ग्रंथ (पृष्ठ 175)
    • संपादक : सूर्य शंकर पारेक
    • रचनाकार : जसनाथ
    • प्रकाशन : श्री देव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मनाथ ट्रस्ट बीकानेर (राज.)
    • संस्करण : 1996

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