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क्रीड़त कान्ह कनक आंगन

kriDat kana kanak angan

परमानंद दास

परमानंद दास

क्रीड़त कान्ह कनक आंगन

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    क्रीड़त कान्ह कनक आंगन।

    निज प्रतिबिंब बिलोकि किलकि धावत पकरन को परछांवन॥

    पकरन धावत, स्रमित होत तब आवत उलटि लाल तहं डायन।

    परमानंद प्रभु की यह लीला निरखत जसुमति हंसि मुसकावन॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि : परमानंददास (पृष्ठ 75)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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