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मरन सो हक रे है बाबा

maran so hak re hai baba

बहिणाबाई

बहिणाबाई

मरन सो हक रे है बाबा

बहिणाबाई

और अधिकबहिणाबाई

    मरन सो हक रे है बाबा

    मरन सो हक है॥

    काहे डरावत मोहे बाबा,

    उपजे सो मर जाये भाई।

    मरन धरन सा कोई बाबा,

    जनन-मरन ये दोनों भाई।

    मोकले तन के साथ

    मोती पुरे सो आपही मरेंगे,

    बदनामी झुठी बात॥

    जैसा करना वैसा भरना,

    संचित ये ही प्रमान।

    तारन हार तो न्यारा है रे,

    हकीम वो रहिमान॥

    बहिनी कहे वो अपनी बात,

    काहे करे डौर (गौर)।

    ग्यानी होवे तो समज लेवे,

    मरन करे आपे दूर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 369)
    • संपादक : काका साहेब कालेलकर
    • रचनाकार : बहिणाबाई
    • प्रकाशन : मोतीलाल बनारसीदास
    • संस्करण : 1963
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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