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मधुरितु बृंदाबन आनंद न थोर

madhuritu brindaban anand na thor

हितहरिवंश

हितहरिवंश

मधुरितु बृंदाबन आनंद न थोर

हितहरिवंश

और अधिकहितहरिवंश

    मधुरितु बृंदाबन आनंद थोर।

    राजति नागरी नव कुसल किसोर॥

    जूथिका जुगलरूप मंजरी रसाल।

    बिथकित अलि मधु माधवी गुलाल॥

    चंपक बकुल कुल बिबिध सरोज।

    केतकी मेदिनी मद मुदित मनोज॥

    रोचक रुचिर बहै त्रिविध समीर।

    मुकुलित चूत नदति पिक कीर॥

    पावन पुलिन घन मंजुल निकुंज।

    किसलय सैन रचित सुखपुंज॥

    मंजीर मुरज डफ मुरली मृदंग।

    बाजत उपंग बीना वर मुख-चंग॥

    मृगमद मलयज कुंकुम अबीर।

    बदन अगर-सत सुरभित चीर॥

    गावत सुंदर हरि सरस धमारि॥

    पुलकित खग-मृग बहत बारि॥

    (जैश्री) ‘हितहरिबंस' हंस-हंसिनी-समाज।

    ऐसे करहु मिलि जुग-जुग राज॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 70)
    • रचनाकार : हित हरिवंश
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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