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लखी जिन लाल की मुसक्यान

lakhii jin laal kii musakyaan

भगवत रसिक

भगवत रसिक

लखी जिन लाल की मुसक्यान

भगवत रसिक

और अधिकभगवत रसिक

    लखी जिन लाल की मुसक्यान।

    तिनहिं बिसरी वेद-बिधि, जप, जोग, संयम, ध्यान॥

    नेम, ब्रत, आचार, पूजा-पाठ, गीता-ग्यान।

    ‘रसिक भगवत' दृग दई असि, ऐंचिकैं मुख-म्यान॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 228)
    • रचनाकार : भगवतरसिक
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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