केसरि तिलक ललाट पट
kesari tilak lalat pat
केसरि तिलक ललाट पट न छवि परत विशेखैं।
ललित कसौटी उपर मनहुँ नव कुंदन रेखैं॥
पलक किधौं सिय रूप पिबन के अधरहिं सोहैं।
तहँ सुंदर रघुवीर वरन बरुणी मन मोहैं॥
मनहुँ पीय की जीह बरणि नहि सकति सीय छवि।
सहस सरन यधरि कहन सो चहत नैन कवि॥
- पुस्तक : रामभक्ति-साहित्य में मधुर उपासना (पृष्ठ 234-235)
- संपादक : भुवनेश्वरनाथ मिश्र माधव
- रचनाकार : बाल अली
- प्रकाशन : बिहार-राष्ट्रभाषा-परिषद्, पटना
- संस्करण : 1975
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