कमल दल नैननि की उनमानि
kamal dal nainani ki unmani
कमल दल नैननि की उनमानि।
बिसरत नाहिं मदनमोहन की मंद-मंद मुसकानि॥
दसनन की द्युति चपला हूँ तैं चारु चपल चमकानि।
बसुधा की बस करी मधुरता सुधा-पगी बतरानि॥
चढ़ी रहै चित उर बिलास की मुकतमाल लहरानि।
नृत्य समय पीतांबर की वह फहरि-फहरि फहरानि॥
अनुदिन श्रीबृंदाबन ब्रज तैं आवन-आवन जानि।
छबि रहीम चित तैं न टरति है सकल स्याम की कानि॥
- पुस्तक : रहीम-कवितावली (पृष्ठ 64)
- संपादक : सुरेंद्र तिवारी
- रचनाकार : रहीम
- प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ
- संस्करण : 1926
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