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इत घरि चोर न मूसै कोई

it ghari chor n muusai ko.ii

दादू दयाल

दादू दयाल

इत घरि चोर न मूसै कोई

दादू दयाल

और अधिकदादू दयाल

    इत घरि चोर मूसै कोई।

    अंतरि है जे जानैं सोई॥

    जागहु रे जन तत जाइ, जागत है सो रह्या समाइ॥

    जतन जतन करि राखहु सार, तसकर उपजै कौंण बिचार॥

    इब करि दादू जानैं जे, तौ साहिब सरनागति ले॥

    जो अपने हृदयस्थ परमात्मा को पहचानता है, उसके हृदय से काम-क्रोधादि चोर कुछ नहीं चुरा सकते हैं। हे प्राणियो! प्रबुद्ध हो, जिससे ज्ञानरूपी धन चुराया जा सके। जो जागता है, वही चेतन में समाया रहता है। ज्ञान रूपी धन को अनेक जतन करके भी बचाओ क्योंकि आत्म-ज्ञान के रहते माया विषयक कुविचार मन में नहीं आते हैं। दादू कहते हैं कि जो इस तथ्य को जान लेता है, उसे साहिब अपनी शरण में ले लेते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दादू समग्र (एक) (पृष्ठ 111)
    • रचनाकार : दादू दयाल
    • प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
    • संस्करण : 2007
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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