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हमारी उमरिया होली खेलन की

hamari umariya holi khelan ki

धनी धरमदास

धनी धरमदास

हमारी उमरिया होली खेलन की

धनी धरमदास

और अधिकधनी धरमदास

    हमारी उमरिया होली खेलन की।

    पिय मोसों मिल के बिछुर गया हो॥

    पिय हमरे हम पिय की पयारी।

    पिय बिच अंतर परि गयो हो॥

    पिया मिलैं तब जियों मोरी सजनी।

    पिया बिना जियरा निकल गयो हो॥

    इत गोकुल उत मथुरा नगरी।

    बीच सगर पिय मिलि गयो हो॥

    धरमदास बिरहिनि पिय पावै।

    चरन कंबल चित गहिं रहो हो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 255)
    • संपादक : जगजीवन राम
    • रचनाकार : धरमदास
    • प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
    • संस्करण : 1963

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