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हमारे निर्धन के धन राम

hamare nirdhan ke dhan ram

सूरदास

सूरदास

हमारे निर्धन के धन राम

सूरदास

और अधिकसूरदास

    हमारे निर्धन के धन राम।

    चोर लेत, घटत नहिं कबहूँ, आबत गाढ़ैं काम॥

    जल नहिं बूड़त, अगिनि दाहत, है ऐसो हरि-नाम।

    बैकुँठनाथ सकल सुख दाता, सूरदास सुख-धाम॥

    हम निर्धनों का धन राम-नाम है। इसे चोर चुरा नहीं सकता, कभी यह घटता नहीं और आपत्ति के समय काम आता है। श्रीहरि का नाम ऐसा है कि तो जल में डूबता है, अग्नि उसे जला सकता है। सूरदास कहते हैं—सुखधाम श्रीबैकुंठनाथ समस्त सुखों के दाता हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूर−विनय−पत्रिका (पृष्ठ 133)
    • रचनाकार : सुदर्शनसिंह
    • प्रकाशन : गीता प्रेस
    • संस्करण : 2000

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